महाकाल मंदिर बैजनाथ में स्थित महाकाल में स्थापित है
यह मंदिर बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है यह मंदिर बैजनाथ से 6 km की दुरी पर स्थित है जो की बैजनाथ से चौबीन के मध्य स्थित है और देश विदेश में बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है यहाँ पर जो शिवलिंग स्थापित है वो भगवान भोलेनाथ के तेज से प्रकट हुआ है ! इस मंदिर में भोले नाथ के साथ साथ माँ काली का भी बास है और इस मंदिर के बारे में बहुत सी रहस्यमयी बाते है जिनका पता कोई नहीं लगा !
जैसे की शिवलिंग के ऊपर चढ़ाया जाने वाला दूध पानी के बहार जाने का निकास कहा जाता है की शिवलिंग के ऊपर जो पानी या दूध चढ़ाया जाता है उसका द्धार तो है पर बाहर निकलने का कोई स्थान नहीं है परन्तु आज तक उसका कोई मालूम नहीं कर सका की वो जाता कहा है !
बात की जाये की इस मंदिर की निर्माण की तो कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण पांडवो द्धारा अज्ञातवास के दौरान किया गया था और मंदिर के निर्माण के दौरान यहाँ पर पांडवो ने माता कुंती के साथ मिलकर भगवान महाकाल की साधना की थी यहाँ के पुजारियों का कहना है की यहाँ पर सप्तऋषि वास करते थे उस दौरान उन्होंने यहाँ पर सात कुंडो का निर्माण भी किया था इनमे से चार कुंड मंदिर के अंधर ब्रम्ह कुंड, विष्णु कुंड, शिव कुंड और सती कुंड आज भी मंदिर में मौजूद है !
और तीन कुंड लक्ष्मी, कुंती और सूर्य कुंड अभी भी मंदिर के बाहर मौजूद है यहाँ पर भगवान् शनि देव और उनके गुरु जी का मंदिर भी स्थित है और यह मंदिर ज्यादा शनिदेव की महिमा के लिए जाना जाता है और श्रावण माह के दौरान भद्रपद माह में शनि देव के मेले मनाये जाते है और लाखो की संख्या में श्रदालु यहाँ शनि देव की पूजा के लिए पहुँचते है!
साल 1995 में जब काँगड़ा जिले में भूकंप आया था तो यह मंदिर पूरी तरह खंडित हो गया था लेकिन यहाँ पर दोबारा इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया था
इस मंदिर में आने के लिए रेलवे मार्ग बैजनाथ पपरोला स्टेशन से होकर आना पड़ता है और और बस या निजी वाहन से आते है तो बैजनाथ से होकर आना पड़ता है !